It is very important to keep pace with society where all fit people are around you and you are the only underweight person. So many times, due to those thin bones and malnutrition body, such people have to face shamefulness. A lot of people are still upset due to work weight or thin skin, but there is absolutely no need to worry for all these things, with the help of Ayurveda, you can increase your weight by using natural herbs.
समाज के साथ तालमेल बिठाना बहुत जरूरी है जहां सभी फिट लोग आपके आस-पास हैं और आप केवल एक ही कम वजन वाले व्यक्ति हैं। तो कई बार उन पतली हड्डियों और कुपोषण से ग्रस्त शरीर की वजह से ऐसे लोगो को सर्मिंदकी का सामना करना पड़ता है। बहुत सरे लोग आज भी काम वजन या दुबले पतले पन की वजह से परेशान है, लेकिन इन सब चीजों के लिए आपको परेशान होने की जरूरत बिलकुल भी नहीं है, आयुर्वेद की साहयता से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तमाल करके आपका वजन बढ़ाया जा सकता है|
The science of weight gain is very simple. If you do not spend as many calories as you are taking from your food, then your weight gain is certain, in fact, extra calories are collected in our body as fat and we gain weight.Sometimes hormones disbalance such as thyroid also increases obesity, which increases the risk of serious diseases like obesity, diabetes and arthritis, and heart disease due to obesity in the body, According to a research, 40% of the population of India is obese, and India ranks third in the number of obese people in the world.
वजन बढ़ने का विज्ञान बड़ा सीधा सा है. यदि आप अपने खाने-पीने से जितनी Calories ले रहे हैं उतनी Calories अगर खर्च नहीं करेंगे तो आपका वजन बढ़ना तय है ,दरअसल एक्स्ट्रा Calorie ही हमारे शरीर में fat के रूप में इकठ्ठा हो जाती है और हमारा वज़न बढ़ जाता है, कभी कभी हार्मोन्स डिस्बैलेंस जैसे की थाइरोइड की वजहा से भी मोटापा बढ़ जाता है, जिसकी वजहा से शरीर में मोटापे के कारन होने वाली बीमारियां जैसे की उच्च रक्तचाप, मधुमेह और गठिया, तथा हर्दय-रोग जैसी गंभीर बीमारियों होने का खतरा बढ़ जाता है, एक रिसर्च के मुताबिक भारत 40 % जनसँख्या मोटापे से ग्रस्त है, और विश्व में मोटे लोगो की संख्या में भारत तीसरे स्थान पर है |
Try to come before 22 years and get 100% result.
In some children, growth hormones are active in the body of some children,
due to which the Height of the children stops increasing and they are of
short stature, sometimes due to the digestive failure, the reduction in
nutritional intake. Due to or due to hormonal nickel dysbalance or due to
genetic problem, the height of children stops growing, but for all these
things, you do not need to bother at all because with the help of Ayurveda
you are stopped. Height can be increased if you have sufficient growth
hormones in your body irrespective of your age 20 22 24 26 28, even with the
help of Ayurveda, you can increase your stalled Height by activating those
growth hormones.
22 साल से पहले आएं और 100% परिणाम प्राप्त करें।
कुछ बच्चों की कुछ बच्चों के शरीर में ग्रोथ हार्मोन इन एक्टिव होते हैं,
जिस वजह से बच्चों की लंबाई बढ़ना रुक जाती है और वह छोटे कद के रह जाते हैं|
कई बार पाचन में खराबी रहने के कारण, खाने से मिलने वाले न्यूट्रेशन में कमी होने के कारण
या हार्मोन निकल डिसबैलेंस होने के कारण या अनुवांशिक (genetic problem) परेशानी होने
के कारण बच्चों की हाइट बढ़ना रुक जाती है लेकिन इन सब चीजों के लिए आपको परेशान होने
की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि आयुर्वेद की सहायता से आपकी रुकी हुई लंबाई बढ़ाई
जा सकती है| अगर आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में ग्रोथ हार्मोन हैं चाहे आपकी उम्र 20 22 24
26 28 तो भी आयुर्वेद की सहायता से उन ग्रोथ हारमोंस को एक्टिव करके आपकी रुकी हुई लंबाई
को बढ़ाया जा सकता है|
Arthritis is an inflammation of the joints. It can affect one joint or multiple joints. The symptoms of arthritis usually develop over time, but they may also appear suddenly. Arthritis is most commonly seen in adults over the age of 65, but it can also develop in children, teens, and younger adults. Arthritis is more common in women than men and in people who are overweight. The main goal of Harsh Health Care Centre is to reduce the amount of pain you’re experiencing and prevent additional damage to the joints. You’ll learn what works best for you in terms of controlling pain.
गठिया जोड़ों की सूजन है। यह एक संयुक्त या कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। गठिया के लक्षण आमतौर पर समय के साथ विकसित होते हैं, लेकिन वे अचानक भी प्रकट हो सकते हैं। गठिया आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में देखा जाता है, लेकिन यह बच्चों, किशोर और छोटे वयस्कों में भी विकसित हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गठिया अधिक आम है और अधिक वजन वाले लोगों में। हर्ष हेल्थ केयर सेंटर का मुख्य लक्ष्य आपके द्वारा अनुभव किए जा रहे दर्द की मात्रा को कम करना और जोड़ों को अतिरिक्त नुकसान को रोकना है। आप सीखेंगे कि दर्द को नियंत्रित करने के मामले में आपके लिए सबसे अच्छा क्या है।
In Ayurveda, hyperacidity is called acidosis and in common language it is also known as bile. A person gets acidity due to consuming spicy, hot and spicy food. Disease arises due to imbalance of doshas in Ayurveda.
Causes of Hyper acidity - Causes of Hyper acidity - Hyper acidity is caused by eating very hot, spicy, spicy foods, consuming excess sour foods, consuming late digested foods, consuming drugs. Not giving enough time to digest food and eating in spite of indigestion can increase your problem.
आयुर्वेद में हाइपरएसिडिटी को अम्लपित्त कहा गया है तथा सामान्य भाषा में इसे पित्त बनना भी कहते है। अधिक मसालेदार, गर्म एवं तीखे भोजन के सेवन के कारण व्यक्ति को एसिडिटी हो जाता है। आयुर्वेद में दोषों के असंतुलन के कारण रोग उत्पन्न होता है।
हाइपर एसिडिटी के कारण - हाइपर एसिडिटी के कारण - अत्यधिक गर्म, तीखा, मसालेदार भोजन करने, अत्यधिक खट्टी चीजों का सेवन, देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन, नशीले पदार्थों का सेवन करने से हाइपर एसडिटी की समस्या पैदा होती है। भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय न देना और अपच के बावजूद खाते रहना, आपकी इस समस्या को बढ़ा सकता है।
Peptic Ulcer is also known as Gastric Ulcer. Failure to eat on time, and eating spicy food increases pitta dosha in the body, which gives rise to many diseases. It occurs in the upper part of the stomach or small intestine. It occurs when the food-digesting acid starts damaging the inner mucous membrane of the stomach or intestine. Our stomach has a smooth layer of mucus, which protects the inner lining of the stomach from Pepsin and Hydrochloric acid. Both these acids are necessary for digestion, but they can also harm the tissues of the body. This ulcer occurs only when the balance between acid and mucous membranes deteriorates.
पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) को गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcer) भी कहते हैं। समय पर भोजन ना करने, तथा तीखा-मसालेदार भोजन करने से शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है, जो अनेक रोगों को जन्म देता है। यह आमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब होता है जब भोजन पचाने वाला अम्ल आमाशय या आंत की भीतरी श्लैष्मिक झिल्ली को नुकसान पहुँचाने लगता है। हमारे पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन (Pepsin) और हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) से बचाती है। यह दोनों एसिड पाचन क्रिया के लिए जरूरी होते हैं, लेकिन यह शरीर के ऊत्तकों को नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। यह एसिड और म्यूकस झिल्ली के बीच का संतुलन बिगड़ने पर ही अल्सर होता है।